Digital currency vs cryptocurrency-डिजिटल रुपया या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए RBI का अगला प्रयास होगा.

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लेकिन कई लोग कंफ्यूज हैं कि अभी डिजिटल करेंसी को सरकार हां कर रही है लेकिन बिटक्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को ना क्यों कह रही है.

विशेषज्ञों के मुताबिक डिजिटल रुपये की अवधारणा बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी से प्रेरित है, लेकिन केंद्रीय बैंक के नियमों के साथ.

यानी बिटक्वाइन अनियंत्रित होती है जबकि डिजिटल करेंसी केंद्रीय बैंक की ओर से जारी की जाती है. क्रिप्टोकरेंसी का प्रबंधन एक कंप्यूटर एल्गोरिथम द्वारा किया जाता है

डिजिटल रुपये केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट में भी शामिल होगी और इसे देश की सॉवरेन करेंसी में बदला जा सकता है.

- रिटेल डिजिटल करेंसी का प्रयोग आम जनता और कंपनियां करती हैं. - होलसेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल वित्तीय संस्थाओं के लिए होगा.

डिजिटल करेंसी भी दो तरह की होती है

- तेज लेन-देन और नोट छापने की तुलना में कम खर्चीला - बाजार में करेंसी को सरकार बेहतर तरीके से नियंत्रित कर पाएगी

डिजिटल करेंसी के चार फायदे

- बैंक खाते की जरूरत नहीं और ऑफलाइन लेन-देन संभव होगा. - हर डिजिटल रुपये पर सरकार की नजर होगी और कोई गैरकानूनी लेन-देन नहीं हो पाएगा

डिजिटल करेंसी के चार फायदे