एजेंट अग्नि एक स्पेशल एजेंट हैं और उनकी एक इंटरनेशनल टास्क फोर्स है जिन्हें टास्ट दिया जाता है कि उन्हें हथियार तस्करी और कोयला माफिया रुद्रवीर को पकड़ना है।
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इस लड़ाई के दौरान अग्नि का खुद के बचपन का पास्ट उसके सामने आता है। वह अपनी ट्रैजेडी के बारे में चौंकाने वाली सच्चाई का पता लगाती है और यहां तक कि एक लिंक भी निकाल लेती हैं जो रुद्रवीर से जुड़ा होता है।
फिल्म की कहानी थोड़ी लंबी लगती है क्योंकि इसमें फ्लैशबैक सीक्वेंस दिखाए जाते हैं। जब भी फ्लैश बैक आता है तो स्क्रीन ब्लैक एंड व्हाइट हो जाती है और जब ये बार-बार होता है तो बाद में थोड़ा खटकने लगता है।
कई बार इतना ज्यादा सब रिपीट होता है कि आप बोर होने लगते हैं। वैसे फिल्म के डायरेक्टर रजनीश घई ने बतौर डायरेक्टर पहली फिल्म बनाई है, लेकिन इसमें उनकी मेहनत साफ दिख रही है।
पहली फिल्म के हिसाब से ये शानदार है। टेक्निकल डिपार्टमेंट, एक्शन कोरियोग्राफी और कैमरा वर्क शानदार है। फिल्म को बेहतरीन बनाने के लिए इन्हें पूरा क्रेडिट दिया जाना चाहिए।
कंगना ने अपनी शानदार परफॉर्मेंस दी है बतौर एजेंट अग्नि। वह गुंडो से लड़ती हुई जबरदस्त लगती हैं और ऐसा लगेगा ही नहीं कि ऐसा जबरदस्त एक्शन वह पहली बार कर रही हैं।
हैंडलर के रूप में शाश्वत चटर्जी और शारिब हाशमी जो रुद्रवीर के लिए काम कर रहे हैं उन्होंने बतौर सपोर्टिंग पार्ट बेहतरीन किया है। लेकिन राइटिंग स्ट्रॉन्ग नहीं होने की वजह से दोनों अपना और जलवा नहीं दिखा पाए।