वित्त मंत्री के मुताबिक बैट्री स्वैपिंग नीति लाने के लिए सरकार काम कर रही है. लेकिन अब सवाल उठता है कि आखिर बैट्री स्वैपिंग होता क्या है?

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इलेक्ट्रिक वाहनों की बैट्री को लेकर नई नीति लाने का ऐलान किया है. वित्त मंत्री के मुताबिक बैट्री स्वैपिंग नीति लाने के लिए सरकार काम कर रही है.

इलेक्ट्रिक वाहन पर्यावरण और फ्यूल कॉस्ट को लेकर बेशक काफी फायदेमंद हैं लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों की अपनी चुनौतियां हैं. वाहन की ज्यादा कीमत, ऑपरेशनल रेंज और बैट्री रिप्लेसमेंट एक बड़ी चुनौती है.

बैट्री स्वैपिंग या बैट्री सर्विस मॉडल इन चुनौतियों का एक हल हो सकता है. इससे कस्टमर के लिए बैट्री को एक अलग कंपोनेंट के तौर पर इस्तेमाल करने का मौका मिलेगा.

बैट्री स्वैपिंग और बैट्री-एस-ए-सर्विस में कस्टमर को बैट्री वाहन में अलग कंपोनेंट के तौर पर मिलती है. कस्टमर बैट्री को डिस्चार्ज होने पर फुल चार्ज बैट्री से बदला जा सकता है.

बैट्री चार्जिंग स्टेशन की तुलना में भी इसमें काफी कम टाइम लगता है. स्वीडन, नॉर्वे, नीदरलैंड्स और यूरोप के बाकी हिस्सों में बैट्री स्वैपिंग की जाती है. यूरोप बैट्री-एस-ए-सर्विस मॉडल का प्रमुख बाजार है.

यूरोप जैसे दूसरे बाजारों में बैट्री स्वैपिंग कस्टमर दो तरह से स्वैपिंग पेमेंट मॉडल्स को अपनाते हैं. एक पेमेंट प्लान होता है महीने और दूसरा होता है सालाना पेमेंट प्लान के आधार पर.

बैट्री स्वैपिंग प्रोसेस में सबसे ज्यादा फायदा समय का होता है. E2W बैट्री स्वैपिंग में 2 से 3 मिनट का समय लगता है. इससे वाहन की रेंज बढ़ती है और ड्राइवर्स को फायदा मिलता है.

2W और 3W की छोटी बैट्रियां स्वैपिंग के लिहाज से बेस्ट होती हैं. ये वजन में हल्की (10 किलोग्राम) से कम और आसानी से बदली जा सकने वाली होती हैं.